ग़म मौत का नहीं है,
ग़म ये के आखिरी वक़्त भी
तू मेरे घर नहीं है….
निचोड़ अपनी आँखों को,
के दो आंसू टपके..
और कुछ तो मेरी लाश को हुस्न मिले…..
डाल दे अपने आँचल का टुकड़ा…
के मेरी मय्यत पे कफ़न नही है…
– गुलज़ार
गुलज़ार जी की अन्य प्रसिध रचनाएँ
ग़म मौत का नहीं है,
ग़म ये के आखिरी वक़्त भी
तू मेरे घर नहीं है….
निचोड़ अपनी आँखों को,
के दो आंसू टपके..
और कुछ तो मेरी लाश को हुस्न मिले…..
डाल दे अपने आँचल का टुकड़ा…
के मेरी मय्यत पे कफ़न नही है…
– गुलज़ार
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