आरम्भ है प्रचण्ड – पियूष मिश्रा

gulaal-0a

आरम्भ है प्रचण्ड, बोले मस्तकों के झुंड, आज ज़ंग की घड़ी की तुम गुहार दो
आन बान शान या कि जान का हो दान आज इक धनुष के बाण पे उतार दो

मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले, वही तो एक सर्वशक्तिमान है
कृष्ण की पुकार है, ये भागवत का सार है कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरवों की भीड़ हो या पांडवों का नीड़ हो जो लड़ सका है वो ही तो महान है
जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं, क्या ज़िन्दगी है ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं, तो मौत से भी क्यों डरें, ये जा के आसमान में दहाड़ दो

वो दया का भाव, या कि शौर्य का चुनाव, या कि हार का वो घाव तुम ये सोच लो
या कि पूरे भाल पे जला रहे विजय का लाल, लाल यह गुलाल तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो या कि केसरी हो ताल तुम ये सोच लो
जिस कवि की कल्पना में, ज़िन्दगी हो प्रेम गीत, उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती मसों में आज, फूलती रगों में आज, आग की लपट का तुम बघार दो

– पियूष मिश्रा

     चलचित्र रूपांतरण

 पियूष मिश्रा द्वारा अन्य किताबें

Advertisement

2 thoughts on “आरम्भ है प्रचण्ड – पियूष मिश्रा

  1. Some poems of famous poets are attached. If you wish then can select
    whichever you like for काव्यशाला

    1. एक तिनका by- अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ 2.बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु by

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s