क्लब के सामने ऋषिमा ने, जहाँ फ़ोटो खिंचाया था
गमकते लहलहाते फूलों की क्यारी छोड़ आया हूँ ।
पैदल रास्ते पर रुक कर, जिसे ऋषिमा दिखाती थी
पक्की सड़क के मोड़ पर, उस ‘जे’ को छोड़ आया हूँ ।
जिनकी ओट से बच्चे ने, हाइड-सीक खेला था
बार-बी-क्यू के पास, वे शिलाएँ छोड़ आया हूँ ।
पर्वत शिखर पर घन घटाओं संग गुज़ारे चन्द पल
माउंट वॉशिंग्टन का, नज़ारा छोड़ आया हूँ ।
नन्हें नन्हें क़दम बढ़ाकर, ऋषिमा जिस पर टहली थी
वह परिपथ छोड़ आया हूँ, वह घाटी छोड़ आया हूँ ।
पथ के किनारे वृक्ष पर, पंछी ने बनाया था नीड़,
वह रास्ता छोड़ आया हूँ , वह तरुवर छोड़ आया हूँ ।
जागृति के संकेत द्वीप से जो देती मौन निमंत्रण है
सागर के मध्य टापू पर , वह प्रतिमा छोड़ आया हूँ ।
– ज्ञान प्रकाश सिंह
यह कविता लेखक श्री ज्ञान प्रकाश सिंह की पुस्तक ‘माई चाइल्ड ऋषिमा” से ली गयी है । पूरी पुस्तक ख़रीदने हेतु निकटतम पुस्तक भंडार जायें । आप ये पुस्तक ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं । सम्पर्क करें kavyashaala@gmail.com पर । भारती प्रकाशन मूल्य रु 200 /-
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यूनिवर्सिटी ऑफ़ रुड़की से सिविल एंजिनीरिंग में ग्रैजूएशन के उपरांत कुछ समय सी.पी.डब्ल्यू.डी और यू.पी. हाउज़िंग एंड डिवेलप्मेंट बोर्ड में कार्यरत रहे. तदुपरांत उ. प्र. लोक निर्माण विभाग जोईन किया एवं अभियंता अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत रहे तथा वहीं से सेवानिवृत हुए । माई चाइल्ड ऋषिमा छोटी बच्ची ऋषिमा की बाल गतिविधियों से सम्बंधित कहानियों एवं कविताओं के रूप में इनकी पहली पुस्तक है । लम्बे अंतराल के पश्चात् बंद पड़ा लेखन पुनः प्रारम्भ किया है ।
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