सब याद है मुझको अब भी… – ज्ञान प्रकाश सिंह

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ऋषिमा अब उस पते पर नहीं रहती
किंतु सब याद है मुझको अब भी ।
फ़्लैट की बाल्कनी में
खड़ी हो मेरे साथ जब भी ,
आते पवन के तेज़ झोंकों को
ऊँचे स्वर में
रुक जाने को कहती थी
और जब तेज़ बारिश हो
उसे जाने को कहती थी ।
‘स्टॉप विंड , स्टॉप विंड ‘ की वह
आवाज़ सुनाई देती है मुझको अब भी ।
‘रेन, रेन गो अवे’ की मधुर ध्वनि
कानो में गूँजती है मेरे अब भी ।
ऋषिमा अब उस पते पर नहीं रहती
किंतु सब याद है मुझको अब भी ।

– ज्ञान प्रकाश सिंह

My Child Hrishima - Front Page

यह कविता लेखक श्री ज्ञान प्रकाश सिंह की पुस्तक ‘माई चाइल्ड ऋषिमा” से ली गयी है । पूरी पुस्तक ख़रीदने हेतु निकटतम पुस्तक भंडार जायें । आप ये पुस्तक ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं । सम्पर्क करें kavyashaala@gmail.com पर । भारती  प्रकाशन  मूल्य रु 200 /-

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