ऋषिमा अब उस पते पर नहीं रहती
किंतु सब याद है मुझको अब भी ।
फ़्लैट की बाल्कनी में
खड़ी हो मेरे साथ जब भी ,
आते पवन के तेज़ झोंकों को
ऊँचे स्वर में
रुक जाने को कहती थी
और जब तेज़ बारिश हो
उसे जाने को कहती थी ।
‘स्टॉप विंड , स्टॉप विंड ‘ की वह
आवाज़ सुनाई देती है मुझको अब भी ।
‘रेन, रेन गो अवे’ की मधुर ध्वनि
कानो में गूँजती है मेरे अब भी ।
ऋषिमा अब उस पते पर नहीं रहती
किंतु सब याद है मुझको अब भी ।
– ज्ञान प्रकाश सिंह
यह कविता लेखक श्री ज्ञान प्रकाश सिंह की पुस्तक ‘माई चाइल्ड ऋषिमा” से ली गयी है । पूरी पुस्तक ख़रीदने हेतु निकटतम पुस्तक भंडार जायें । आप ये पुस्तक ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकते हैं । सम्पर्क करें kavyashaala@gmail.com पर । भारती प्रकाशन मूल्य रु 200 /-
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यूनिवर्सिटी ऑफ़ रुड़की से सिविल एंजिनीरिंग में ग्रैजूएशन के उपरांत कुछ समय सी.पी.डब्ल्यू.डी और यू.पी. हाउज़िंग एंड डिवेलप्मेंट बोर्ड में कार्यरत रहे. तदुपरांत उ. प्र. लोक निर्माण विभाग जोईन किया एवं अभियंता अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत रहे तथा वहीं से सेवानिवृत हुए । माई चाइल्ड ऋषिमा छोटी बच्ची ऋषिमा की बाल गतिविधियों से सम्बंधित कहानियों एवं कविताओं के रूप में इनकी पहली पुस्तक है । लम्बे अंतराल के पश्चात् बंद पड़ा लेखन पुनः प्रारम्भ किया है ।
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